Ghazipur news:जनपद के इस बिभाग पर लगा करोड़ों के गोलमाल का आरोप

गाजीपुर- जिले के खाद्य एवं विपणन विभाग में जबरदस्त पैमाने पर हो रहे गोलमाल का भंडाफोड़ हो गया है।यहां के अधिकारियों व कर्मचारियों से गठजोड़ कर कई बड़े राइस मिलर फर्जी दस्तावेजों की आड़ में करोड़ों रुपए की हेरा फेरी कर रहे हैं। शिकायतकर्ता के मुताबिक विभाग के कई अफसर और बड़े मिलर मिलकर करीब 50 करोड़ का सरकारी धन अवैध रूप से फर्जी पेपरों के आधार पर डकार चुके हैं।इस संबंध में शिकायतकर्ता अमित कुमार ने मुख्यमंत्री पोर्टल पर प्रार्थना पत्र भेजने के साथ ही पूरे प्रकरण की जांच एसआईटी,ईडी या एंटी करप्शन टीम से कराए जाने की मांग की है।
फर्जी आधार कार्ड व फर्जी खतौनी की आड़ में यह पूरा खेल चल रहा है। जिले में स्थापित धान के केंद्रों पर मात्र 15 से 20% प्रभावशाली किसानों का ही धान नियमानुसार खरीदा जाता है।शेष सभी किसानों का धान राइस मिलों पर ही क्रय किया जाता है। जहां धान की तौल धर्म कांटा पर की जाती है। शिकायतकर्ता अमित कुमार के अनुसार यदि राइस मिलर का स्वयं का धान होता तो वह मंडी में टैक्स अवश्य जमा करेगा और ऑनलाइन उसका ‘ 6 R’ भी कटा होगा, लेकिन यहां ऐसा बिल्कुल भी नहीं है।विभागीय सूत्रों के अनुसार इस मामले ने काफी तूल पकड़ लिया है। मामला प्रमुख सचिव खाद्य एवं रसद वीना कुमार मीणा के संज्ञान में भी पहुंच चुका है। विभागीय सूत्र बताते हैं कि बहुत जल्द ही एसआईटी की टीम पूरे प्रकरण की जांच के लिए जिले में कभी भी धमक सकती है।
इस प्रकार होता है खेल यदि किसी किसान का 100 कुंतल धान मिल पर आया तो नियम के अनुसार किसान को प्राप्त होना चाहिए 2 लाख 4 हजार रूपये लेकिन किसान को मिलता है मात्र 1 लाख 80 हजार रूपये यानी धान आया 100 कुंतल और खरीदा गया 88 कुंतल। इस प्रकार इसका मतलब साफ है कि 11.80 कुंतल राइस मिल के पास बच गया। नियमों को ताक पर रखकर काम करते हैं– इधर जिले के किसी भी बड़ी राइस मिल का निरीक्षण किया जाए तो 2 लाख बोरी 3 लाख बोरी या 50 हजार बोरी मिल जाएगी जबकि नियमानुसार 5 से 10 हजार बोरी के रूप में हीं रख सकता है।आरोप लगाने वाले के अनुसार प्रतिवर्ष जिले के दर्जनों राइस मिलरों से 5 करोड़ तक की वसूली होती है। खाद्य विपणन अधिकारी का एक चाहता बाबू व कई प्राइवेट लोग वसूली करते हैं। सरकार के नियमों को अनदेखा कर बिहार प्रांत से धान की खरीदारी फर्जी पेपरों पर की जाती है। अन्य कई जनपदों से भी पीसीयू द्वारा सोसाइटी बनाकर धान की खरीद की जाती है। आरोप लगाने वाले ने कहा कि पिछले 3 वर्षों का विवरण केन्द्रवार क्रय पंजिका,पिछले 2 वर्षों सत्यापित मिलरों की सूची, सत्यापित राइस मिलो की मिलिंग क्षमता,विद्युत रीडिंग व उसकी छाया प्रति के अभिलेख की जांच की जाए पोल पट्टी खुल जाएगी।
इस संदर्भ में जिला खाद्य एवं विपणन अधिकारी रतन शुक्ला ने कहा कि मेरे संज्ञान में भी शिकायत पत्र का मामला आया है. शिकायतकर्ता द्वारा लगाए गए आरोपों के बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है। मैं विगत 3 वर्षों से इस जिले में तैनात हूं ।यदि ऐसा गोलमाल हुआ होता तो मेरे संज्ञान में जरूर आता। मीडिया के माध्यम से मुझे पता चला है मैं स्वयं पूरे प्रकरण की जांच कर आऊंगा,यदि जांच में मामला सही पाया गया तो अग्रिम कार्यवाही की जायेगी।साभार-डीएनए