Ghazipur news:ठार या पाला से फसलों को कैसे बचायें

107

गाजीपुर 17 जनवरी 2023 (सू.वि) – जिला कृषि रक्षा अधिकारी गाजीपुर ने बताया है कि इस समय सर्दी मौसम होने के साथ ही घना कोहरा एवं पाला भी पड़ रहा है जिसके कारण आलू की फसल में झुलसा रोग लगने की प्रबल सम्भावना है। झुलसा रोग की पहचान के लिए अपनी फसल की निरन्तर निगरानी करते रहें, यदि पत्तियों पर किसी प्रकार का दाग धब्बा दिखायी दे या रिंग के आकार का धब्बा बढ़ता जाय तो समझिये कि आप की फसल में झुलसा रोग लग गया है। आलू, मटर व सरसो की फसल को पाला से बचानें के लिए आलू की फसल में हल्की सिचाई करने की सलाह दी जाती है। झुलसा रोग के बचाव हेतु मैंकोजेब 75 प्रति० डव्लू०पी० की 2 किग्रा० मात्रा को 800 से 1000 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से 15 दिन के अन्तराल पर छिडकाव करें। मटर की फसल में तुलासिता रोग (पाउडरी मिल्डयू) जो मटर की पत्तियों के उपरी सतह पर सफेद चूर्ण रूप में एक लेयर बना लेती है जिससे पत्तियां पीली होकर सूखने लगती है। इस बिमारी से फसल को बचाने के लिए मैंकोजेब 75 प्रतिशत डब्लू०पी० 2 किग्रा० अथवा कापर आक्सी क्लोराइड 50 प्रतिशत डब्लू०पी० की 3 किग्रा० मात्रा को 800 से 1000 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर में छिड़काव करें। सरसो की फसल में पौधो की निचली पत्तियों में कत्थई रंग के धब्बे बनने लगते है जिससे पत्तियों पर सफेद रंग के फफोले बन जाते हैं जिससे पत्तियॉ पीली होकर गिरनें लगती है। यह गेरूई, तुलासिता रोग (पाउडरी मिल्ड्यू) के लक्षण है। इससे फसल को बचाने के लिए मैंकोजेब 75 प्रति० डब्लू0पी0 2 किग्रा0 अथवा जिनेब (जेड-78) की 2 किग्रा० मात्रा को 800 से 1000 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें। गेहूं की फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए सल्फोसल्फ्यूरान 75 प्रतिशत$मेट सल्फ्यूरान मेथाइल 5 प्रतिशत डब्लू0पी0 की 1 यूनिट मात्रा को 200 से 250 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें। उन्होने कृषको को सूचित किया है कि समस्त रसायन जनपद की कृषि रक्षा इकाईयों पर उपलब्ध है। जिस पर कृषि विभाग की ओर से 50 प्रतिशत अनुदान भी देय है। जो डी०बी०टी० के माध्यम से किसानों के खाते में भेज दी जायेगी।

Play Store से हमारा App डाउनलोड करने के लिए नीचे क्लिक करें- Qries