Ghazipur news:अपने ही बुनें जाल में फंस गयी यहां की पुलिस

गाजीपुर-यूपी पुलिस खासतौर से गाजीपुर पुलिस की एक सनसनीखेज कारस्तानी हाईकोर्ट इलाहाबाद ने उजागर कर दी है।होश उड़ा देने वाला मामला यह है कि 2 दिन पूर्व पकड़े गए युवक का 2 दिन बाद फर्जी तरीके से एनडीपीएस में चालान कर के जेल भेज दिया गया और बिना किसी ठोस प्रमाण के ही उसे हीरोइन तस्कर भी साबित भी कर दिया। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए हाईकोर्ट इलाहाबाद के कोर्ट नंबर 74 के न्यायमूर्ति अजय भट्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए युवक की जमानत याचिका को मंजूर करते हुए डीजीपी यूपी पुलिस को मेल भेजकर उनसे इस मामले की जांच करा कर दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्यवाही किए जाने का आदेश जारी कर दिया है।यह पूरा मामला दिलदार नगर थाना क्षेत्र के कुशी गांव निवासी निरंजन कुमार सिंह को 31 सितंबर 2022 को स्थानीय पुलिस ने गिरफ्तार किया था। इस दौरान उसने अपने कुछ करीबी रिश्तेदारों को मोबाइल पर पुलिस कार्यवाही की जानकारी दे दी थी। निरंजन के सगे मामा राजू कृष्ण सिंह निवासी बघरी थाना जमानिया जो वर्तमान में बैरम पुलिस चौकी प्रयागराज के प्रभारी हैं। उन्होंने ट्विटर के माध्यम से प्रकरण से तत्कालीन एसपी गाजीपुर व अन्य उच्चाधिकारियों को जानकारी दे दी थी। बाद में पुलिस ने 2 अक्टूबर 22 को निरंजन के खिलाफ एनडीपीएस का मुकदमा दर्ज कर उसके पास से 510 ग्राम हीरोइन की बरामदगी दिखा दी।
टि्वटर से खुली पुलिस के फर्जी फर्जी फिकेशन की पोल- मामला तब गंभीर हो गया जब पुलिस ने फर्जी तरीके से निरंजन को हीरोइन के केस में जेल भेज दिया। प्रमाण के तौर पर निरंजन के मामला और पुलिस अधिकारियों के पास भेजा मामले से जूडा मोबाइल का मैसेज था।बस यहीं से पुलिस के फर्जीवाड़े की केस खुल गई।निरंजन के मामा को भी केस में फंसाने का हुआ प्रयास – दिलदारनगर पुलिस हाई कोर्ट के जज के सामने पहुंचे सबूतों के आधार पर उस समय कटघरे में खड़ी हो गई जब जज को पता चला कि पुलिस ने निरंजन के मामा राजू कृष्ण सिंह जो खुद पुलिस चौकी इंचार्ज हैं उनका नाम भी केस के फर्द में शामिल कर दिया था। यह दिगर बात है कि बाद में अपना गला बचाने के लिए दिलदारनगर पुलिस ने केस के फर्द से राजू कृष्ण सिंह का नाम निकाल दिया।
पकड़ा कहीं से और दिखाया कहीं और से- 2 अक्टूबर 2022 को जब दिलदारनगर पुलिस ने निरंजन को जब पकड़ा तो उस वक्त वह बाजार में मौजूद था और पुलिस ने उसके खिलाफ केस दर्ज किया तो रिपोर्ट में उसकी गिरफ्तारी किसी और स्थान से दिखाई गई। केस के इन दो बिंदुओं पर न्यायाधीश ने फैसला सुनाया – इसका पहला बिंदु जब 31 सितंबर को पुलिस ने निरंजन को पकड़ा तो 2 अक्टूबर को गिरफ्तारी क्यों दिखाई गई ? यही नहीं ट्विटर के माध्यम से जब मामला उच्चाधिकारियों के संज्ञान में पहुंच गया तो पहले जांच करानी चाहिए थी लेकिन पुलिस ने ऐसा कुछ नहीं किया। दूसरा बिंदु इस केस में पुलिस ने फर्जी तरीके से निरंजन के मामा राजू कृष्ण को इसलिए फसाने की कोशिश की कि उसने ट्विटर के माध्यम से निरंजन की फर्जी गिरफ्तारी का मामला अधिकारियों के संज्ञान में पहुंचा दिया था।कोर्ट ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला- उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अजय भनोट ने निरंजन केस मे डीजीपी को आदेशित किया है कि वह इस प्रकरण की अपने स्तर से जांच कर नियमानुसार कार्यवाही करें।साभार-डेली न्यूज एक्टिविस्ट