Ghazipur news:आइए जानें क्या हैं मोटे अनाज और सर्दियों में क्यों है अहमियत

गाजीपुर:सर्दियों के मौसम में ठंडक घुलने से लोग अपने खानपान को लेकर सतर्कता बरत रहे है। लोग सर्दी के मौसम में ऐसी चीजें खानपान में शामिल कर रहें जो शरीर को गर्म बनाए और रोगों से लड़ने की क्षमता भी बढ़ाएं। इस समय आटा चक्की और राशन की दुकानों पर मकई,ज्वार,बाजरा के आंटे की मांग बढ़ गई है। करीब पचास साठ साल पहले हमारे खाने की थाली में मोटा अनाज ही हुआ करता था जिसमें ज्वार, बाजरा, जौ, कोदो, रागी (मडुआ), सांवा, सांवा, कुटकी आदि शामिल रहते थे। देश में हरित क्रांति के बाद लोगों की थाली में मोटे अनाज की जगह गेहूं और चावल ने ले लिया। जो स्वास्थ्यवर्धक अनाज हम बीते हजारों सालों से खा रहे थे उसे हमने त्याग दिया। आयुर्वेदिक चिकित्सक बताते है कि सर्दी के मौसम में मक्का, ज्वार, बाजरा और रागी का विभिन्न रुपो मे भरपूर सेवन करना चाहिए। इन्हें दलिया, रोटी या डोसे के रूप में लिया जा सकता है। इससे गेहूं के उपयोग में अपने आप कमी आएगी जो न केवल हमारे वजन को नियंत्रित करने में मदद करेगा बल्कि मोटे अनाजों की गर्म तासीर की वजह से शरीर में गर्मी भी रहेगी। तिल, मूंगफली और गुड़ न केवल तासीर में गर्म है बल्कि आयरन के भी अच्छे सोर्स हैं जो ठंड में हमारे शरीर के लिए जरूरी है। भारत सरकार के मोटे अनाज प्रस्ताव को संयुक्त राष्ट्र संघ से मंजूरी मिली है। केंद्र सरकार के साथ अब पूरा विश्व मिलेट्स यानि मोटे अनाज पर जोर दे रहा है। जिसके लिए वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है।लेखक फूलचन्द सिंह की उम्र इस समय लगभग 58 साल है। लेखक गाजीपुर जनपद के ग्राम व पोस्ट मैनपुर विकास खण्ड करण्डा का निवशी है।लेखक का क्षेत्र/इलाका मोटे अनाज के उत्पादन के लिए विख्यात है। अपने बचपन में हमने अपने माँ के हाथ का बाजरे भात गर्म दुध और मट्ठा मे खुब खाया है।बाजरे की मोटी-मोटी रोटी (लिट्टी) आलू गोभी की सब्जी के साथ खाने का अपना अलग ही आनंद था।अब तो ये सारे भोज्यपदार्थ स्वप्न की तरह लगते है।बेर्रा (जौ+चना का मिश्रण) की मोटी-मोटी रोटी जिसे हम क्षेत्रीय भाषा मे लिट्टी कहते थे नमक-मिर्च से खूब खायें है।