Ghazipur news:स्टे आर्डर के दम पर कबतक बचेगा बेसिक का बाबू/कर्मचारी नेता

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गाजीपुर-बेसिक शिक्षा परिषद अपने सनसनीखेज कारस्तानियों के चलते हमेशा से चर्चा में रहा है।बेसिक शिक्षा विभाग के एक बाबू के सिर पर डिस्मिस/बर्खास्तगी की तलवार लटक गई है। हालांकि उक्त चर्चित बाबू के खिलाफ सभी विभागीय कार्यवाहीयां पूरी हो गई है और सिर्फ कोर्ट के स्टे आर्डर के हटने की देर है,जैसे ही स्टे आर्डर हटा वैसे ही जांच की आंच में फंसा बाबू अपने पद से ही नहीं बल्कि विभाग से ही डिसमिस कर दिया जाएगा। विभागीय सूत्रों के मुताबिक एडी बेसिक वाराणसी से लेकर अन्य उच्चाधिकारियों की तरफ से कोर्ट के स्टे आर्डर को खारिज कराने का आदेश जारी कर दिया गया है।सूत्रों की माने तो जांच की जद में फंसे बाबू की विभाग में बाबू गिरी व नेता गिरी करने के कुछ ही दिन गिने-चुने बच गए हैं। बीएसए ऑफिस से जुड़े सूत्रों के मुताबिक उक्त बाबू की नियुक्ति करीब 12 वर्ष पूर्व विभाग में मृतक आश्रित के रूप मे हुई थी।उक्त बाबू के माता-पिता दोनों ही विभाग में कार्यरत थे लेकिन एक के दिवंगत होने पर फर्जी तरीका से उनके बेटे को मृतक आश्रित कोटे के तहत नौकरी मिल गई। शासनादेश के मुताबिक जब माता और पिता दोनों सरकारी नौकरी में हो तो किसी एक दिवंगत होने पर उनके पुत्र या पुत्री को मृतक आश्रित के तौर पर नौकरी नहीं दी जा सकती ।सूत्रों के मुताबिक उक्त बाबू की नियुक्ति करीब 12 वर्ष पूर्व विभाग में ही हो गई ।उसके गांव के ही रहने वाले एक व्यक्ति ने इसकी शिकायत विभाग मे की थी।विभागीय जांच बडे जोर शोर से शुरू हुई फिर बाद में जांच की आंच को ठंडा कर दिया गया। लेकिन शिकायतकर्ता फिर भी सक्रिय रहा और मामला उच्चाधिकारियों से लेकर शासन तक पहुंच गया। बाद में विभाग के डायरेक्टर समेत मंत्री अन्य उच्चाधिकारियों ने जांच कराया तो दूध का दूध और पानी का पानी हो गया।चर्चित बाबू की कारस्तानी पकड़ में आ गई। इसी दौरान उक्त बाबू कोर्ट की शरण में चला गया जहां से उसे अपनी नियुक्ति के संबंध में स्टे आर्डर जारी करा लिया। ऐसे में एक बार फिर शिकायतकर्ता सक्रिय हुआ और दोबारा जांच को पूरे साक्ष्य और सबूत के साथ ही रिओपन कराया।हाल ही में एडी बेसिक वाराणसी समेत अन्य उच्चाधिकारियों ने उक्त बाबू की नियुक्ति को गलत पाते हुए उसके खिलाफ डिस्मिस/बर्खास्तगी के कार्यवाही का फरमान जारी कर दिया है। फरमान के आडे आने वाले स्टे आर्डर को हटवाने के लिए बीएसए गाजीपुर को निर्देश दे दिया गया है।हालांकि अभी तक विभाग के अधिकारी मामले को दबाए हुए हैं,लेकिन इतना तय है कि जिस दिन स्टे आर्डर हटा उसी दिन बाबू की बाबू गिरी पर ग्रहण लगना है।

इस प्रकार बाबू ने लिए कोर्ट से स्टे आर्डर –तत्कालीन बीएसए श्रवण गुप्ता के कार्यकाल के दौरान उक्त बाबू के खिलाफ जांच में तेजी आई थी,लेकिन उस समय बीएसए के गुड फेथ ने होने के चलते बाबू बचता चला गया। लेकिन शिकायतकर्ता ने कई बार विभाग से जांच के संबंध में और बाबू की नियुक्ति के संबंध में मूल दस्तावेजों को मांगा परंतु विभाग ने उसे देने से इंकार कर दिया। उसी समय बाबू को बचाव का मौका मिल गया और वह कोर्ट की शरण में जा पहुंचा। कोर्ट ने विभागीय साक्ष्यों के आधार पर उसे स्टे आर्डर दे दिया जो आज भी बरकरार है।

जांच की आंच में झुलस सकते है सैकड़ो शिक्षक और कई बाबू -जांच की आंच में झुलस सकते हैं सैकड़ो शिक्षक और कई बाबू , बेसिक शिक्षा विभाग को आखिरकार क्या हो गया है पहले एक सिविल इंजीनियर बर्खास्त हो चुका है और फिर एक बाबू उसी दोराहे पर आकर खड़ा हो गया है। सूत्र बताते हैं कि अभी विभाग में 2 और बाबू ऐसे हैं जिनकी नियुक्ति पर संदेह का प्रश्न बना हुआ है।उनकी नियुक्ति के संबंध में जांच पुरी हो चूकी है उनकी भी न्युक्ति अवैध है लेकिन विभाग उनको भी बचा रहा है। लेकिन सूत्रों की मानें तो आज नहीं कल उनको भी बर्खास्त होना ही है। सूत्र यह भी बताते हैं कि विभाग में शासनादेश के विरुद्ध हुई न्युक्ति के लिए प्रथम दृष्टया विभाग के अधिकारी/ कर्मचारी जिम्मेदार है।साभार-डीएनए

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