गाजीपुर- राजनिति में अभद्र भाषा के प्रयोग से आहत मधु राय के स्वर

गाजीपुर- वर्तमान राजनैतिक हालत और नेताओं के द्वारा प्रयोग किये जा रहे अभद्र भाषा से व्यथित कवियित्री मधु राय जी के भावनाओं की एक झलक- किधर जा रहा देश ये मेरा, किधर जा रही संस्कृति।
क्या हालात हो गए देश के,क्या हो गया समाज।
कितने बदल गए सस्कांर, कितना बदल गया,,,,,,,
जनता बदली,, तेवर बदले
बदल गया व्यवहार,।कितना बदल गया,,,,,,,,,,,,
अनपढ़ नेता बेतुके बोल ।
भद्दी भाषा भद्दे बोल, बेबुनियादी बे-सिर-पैर के वादे ,,,,,,,,,, कितने बदल गए हैं लोग।
बंदर बिल्ली की भांति झगड़ रहे कुर्सी की खातिर खुद को गिरा रहे कीचड़ में ये लोग कितना बदल गया मतदान ,,,,,,।
लगा रहे बेबुनियादी इल्जांम ।
देख रहे ना खुद के भीतर लगा रहे इल्जाम़
वाह ये देश के कर्णधारों दंभ भरते भारत माता की रक्षा का पर मां बहनों की इज्जत उछाल रहे सरे आम ।
मरन मारन पर उतर रहे ,
दौलत की खातिर खुद को किस हद तक गिरा रहे ।
महिला बनी चुनाव जंग में महिला की ही दुश्मन गिरा उसे वो खुश हो रही नहीं सोच रही क्या खो दिया उसने लालच की खातिर ,,,,,,,।
कितना बदल गया व्यवहार,, ,,,,,,,,।
कुर्सी की खातिर रिश्ते बदले छूट गए मां बाप ।
कितना बदल गया,,,,,,,,,,।सूरज की तपिश बढ़ गई,
दुनिया की रफ्तार , कितना बदल गया मतदान ।
देश की रक्षार्थ हेतु नहीं कर रहे जंग , खुद की झोली , खाली तिजोरी भरने की खातिर पल पल दल बदल रहे हो तुम ।
कब्र में पैर लटका रहे पर कुर्सी को पकड़ लटक रहे तुम । कितना बदल गया मानव स्वभाव कितना बदल गया समाज ।

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