अजब-गजब , बगैर सिंदूरदान के विवाह

गाजीपुर- सोमवार को सदर ब्लॉक के प्रांगण मे लाल चुनरी में वधुएं और दूल्हे की टोपी लगाए वर एक दूसरे के अलग बगल वर और वधु विराजमान थे। मंत्रोच्चार के बीच एक दूसरे के गले में जयमाल डाला गया। दो वेदिकाओं में अग्नि प्रज्ज्वलित कर उसके फेर दिलाए गए। इसके बाद शासन द्वारा उपलब्ध कराए गए धन से दहेज का सामान दिया गया। एक बोरी में भरे हुए वर्तन, कपड़े, श्रृंगार का बाक्स, चांदी के गहने और सिन्धोरा प्रत्येक जोड़े को दिया गया। एक कन्या का वर थोड़ी देर से पहुंचा तो उस जोड़ी के फेरे और जयमाल भी आनन फानन में कराए गए। दहेज में दिए गए अन्य सामग्रियों को तो मौके पर खोलने से मना कर दिया गया लेकिन सिन्धोरे भी उसी तरह पैक रह गए। विवाह में न तो सिंदूर का प्रयोग किया गया और न ही वधुओं की मांग दूल्हों ने भरी। विवाह करा रहे पंडित, गायत्री परिवार के कर्मकांडी ने भी यह नहीं कराया। मंत्र और अग्नि के फेरे तो यही बता रहे थे कि विवाह हिंदू धार्मिक रीति रिवाजों से हो रहे हैं लेकिन बगैर सिंदूर दान के विवाह पूर्ण कराने का तरीका सदर ब्लाक में ही दिखा। सामूहिक विवाह में प्रमुख आलोक कुमार, डीडीओ राकेश कुमार पांडेय, जिला पंचायत राज अधिकारी लालजी दुबे, जिला समाज कल्याण अधिकारी जितेंद्र मोहन शुक्ल, खंड विकास अधिकारी मृदुला, शशिपाल सिह उर्फ घूरा सिह आदि थे। खंड विकास अधिकारी मृदुला ने कहा कि अधिकांश वर पक्ष के लोग नहीं चाहते थे कि सिंदूरदान हो। इसलिए ऐसा नहीं कराया गया। किन वजहों से वह ऐसा नहीं चाहते थे इसको जानने का प्रयास नहीं किया जाएगा

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