आंगनबाडी,आशा सहित सभी संविदा कर्मियों को बधुआं बनाने की तैयारी मे केन्द्र सरकार

केन्द्र सरकार सभी संविदा कर्मियो हक पर डकैती डालने की पुरी तैयारी कर चूकी है। माननीय उच्चतम न्यायालय ने श्रमिको के कई मामलो मे समान कार्य -समान बेतन का निर्णय दे चूका है। केन्द्रीय संविदा कानून 1971 की धारा 25 के अनुसार ” संविदा कर्मियों को स्थायी के समान बेतन देने का प्राविधान है। केन्द्रीय संविदा श्रम कानून 1971 की धारा 25(2) मे कहा गया है कि”संविदा पर काम करने वाले को न्यूनतम मजदुरी अधिनियम मे निर्धारित दरो से कम मजदुरी नही दिया जा सकता। संविदा और स्थाई कर्मियों के वेतनमान मे समानता कायम रखने वाले इस प्रावधान को भारत सरकार का श्रम मंत्रालय और नीति आयोग इसे खत्म करने के लिये 28 जून 2017 को एक बैठक करने जा रही है। अगर भारत सरकार अपने प्रयास मे सफल हो जाती है तो आंगनबाडी, आशा ,शिक्षा प्रेरक, रसोईया, रोजगार सेवक जैसे कई लाख संविदा कर्मियों का हित और भविष्य प्रभावित होगा।