आजमगढ़- खामोश लहरों के साथ लगातार अपनी रवानगी का एहसास कराती तमसा, अचानक तमसा के पानी में उबाल आ गया। खामोश, स्थिर ,निरंतर प्रवाहमान तमसा के साथ ऐसा क्या हुआ कि तमसा के प्रवाहमान जल में उबाल आ गया। दशकों से फक्कड़ कबीर अपनी जिस साधना स्थली पर लोक कल्याण के लिए साधनारत थे उस फक्कड़ कबीर की साधना स्थली पर एक नादिर शाह की नाजायज औलाद गधा कुमार आईएएस ने अपने तानाशाहीपुर्ण रवैया के कारण फक्कड़ कबीर की साधना स्थली को ध्वस्त करने का दुस्साहस किया और फक्कड़ कबीर की साधना स्थली के ध्वस्त होते ही खामोश तमसा में उबाल आ गया। आजमगढ़ के सरस्वती पुत्रों में उबाल आ गया।शायद गधा कुमार आईएएस को यह पता नहीं था कि उसने फक्कड़ कबीर के नहीं पूरे आजमगढ़ की अस्मिता को चुनौती दिया है और आजमगढ़ के सरस्वती पुत्रों ने भी गधे कुमार की चुनौती को शिकार कर लिया और गधे कुमार आईएएस को फक्कड़ कबीर की साधना स्थली को ध्वस्त करने का खामियाजा तो भुगतना ही होगा। फक्कड़ कबीर की साधना स्थली को उजाड़ कर कोई गधा कुमार आईएएस जनमानस में गौरव को नहीं प्राप्त कर सकता है।
