आजादी के 70 साल बाद भी विकास से कोसों दुर

गाजीपुर- विभागीय अधिकारियों की उदासीनता से सरकारी योजनाएं भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाती हैं और शासन का करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद धरातल पर गांवों का समुचित विकास नहीं हो पाता। पात्र व्यक्ति योजनाओं के लाभ से वंचित रह जाते हैं।भांवरकोल विकास खंण्ड क्षेत्र के फतुलहां, चमराढ़ी व मरैला जैसे अन्य कई ऐसे राजस्व ग्राम हैं जो विकास से काफी दूर हैं। जिन गांवों का चयन किसी योजना में नहीं हुआ उनकी बात तो दूर रही जिनका चयन किसी योजना में हुआ भी उनका विकास भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया। इसका नमूना भेलमपुर उर्फ पंडितपुरा है। ग्राम पंचायत मच्छटी के इस राजस्व ग्राम का चयन वर्ष 2012-13 में लोहियाग्राम के रूप में शासन द्वारा किया गया। कागज में इस गांव के विकास के नाम पर लाखों रुपये खर्च भी दिखाए गए। बावजूद यह गांव विकास से काफी दूर है। इस गांव में शिक्षा की कोई व्यवस्था नहीं है और न ही आंगनबाड़ी का सरकारी भवन ही। छोटे बच्चों को प्राथमिक स्तर की शिक्षा के लिए भी मच्छटी जाना पड़ता है। शौचालयों की स्थिति भी ठीक नहीं है। मात्र 55 शौचालय बने वह भी मानक के अनुसार न होने के कारण कुछ ही दिनों बाद ध्वस्त हो गये। कई का तो निर्माण आधा-अधूरा ही छोड़ दिया गया। गांव में 40 परिवारों के पास ही बिजली के कनेक्शन हैं। आधे से अधिक परिवारों में आज भी बिजली का कनेक्शन नहीं है। लगभग 30 परिवारों में आज भी गैस कनेक्शन न होने से उन परिवारों की महिलाएं धुएं में खाना बनाने को मजबूर हैं।