उ०प्र०2017 सत्तारूढ़ होने की छटपटाहट
लखनऊ-वर्ष 2017 जैसे -जैसे नजदीक आ रहा है ,उत्तर प्रदेश मे सत्तारूढ़ होने की राजनीतिक दलों की छटपटाहट साफ दिख रही है।
देश पर राज कर रही भाजपा अपने उत्तर प्रदेश के कार्यकर्ताओं को उत्साहित करने के लिये असम विजय के फार्मूले का सब्जबाग दिखा रही है , तो वही पीछडो को लुभाने के लिए पीछडी जाति से आनेवाले केशव मौर्य को उ०प्र० का प्रदेश अध्यक्ष वना कर सत्ता पाना चाहती है। उ०प्र० मे वर्तमान मे सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी भी दोवारा सत्ता पाने के लिए कम बेचैन नहीं हैं । सपा की नजर कुर्मा और क्षत्रिय मतो पर कुछ अधिक है ,इसी का परिणाम है वर्षो से नाराज चल रहे अमर सिह और बेनीप्रसाद वर्मा को राज्यसभा का सदस्य बनाना । बसपा सुप्रीमो मायावती भी 2012 से सत्ता से बेदखल होने के वाद ,एक फिर उत्तर प्रदेश मे सत्तारूढ़ होने के लिये ब्राम्हण + दलित +मुस्लिम के फार्मूला पर दिन रात काम कर रही है । सतीश चन्द्र मिश्रा को तिसरी बार राज्यसभा मे भेजना हो या आजमगढ़ दंगों मे मुस्लिम के द्वारा दलितो के उत्पीड़न पर मायवती का खमोश हो जाना अपने आप मे बहुत कुछ कहता है।