क्यों कुर्सी छोड कर भागे एस०डी०एम० गाजीपुर ?

गाजीपुर- उपजिलाधिकारी गाजीपुर के न्यायालय मे फरियादियों की भींड लगी हुई थी। उपजिलाधिकारी विनय कुमार अपने चेम्बर से निकल कर न्यायालय की कुर्सी पर अभी बैठे ही थे कि अचानक उनके मोबाईल की घंटी बजती है। उपजिलाधिकारी ने फोन उठाया , उधर फोन पर कौन था और उसने क्या कहा दुशरों को कुछ पता नहीं , लेकिन उपजिलाधिकारी तुरन्त अपनी कुर्सी छोड कर उठते है और अपने अर्दली , ड्राइवर और गार्ड को आवाज देते हुये पैदल ही लम्बे-लम्बे डग भरते हुए पंहुचते है और तहसीलदार और दो लेखपाल को अपनी गाडी मे लाद कर , सायरन बजाते हुये तेज गति से शहर की तरफ जाते है। महुआबाग से एस०डी०एम०की गडी दाहिने मुड जाती है । बिभिन्न मुहल्लों से गुजरते हुऐ गाडी शहर के इस्लामिया घाट पर पंहुचती है।

इस्लामियां घाट पर शुहवल थाना क्षेत्र के मेदनीपुर निवासी शुनील सिह पुत्र यशवंत सिह के चार वर्षीय पुत्र रूद्र के आर -पार का शेहरा (गंगा पुजन) उतारने हेतू परिवार, पट्टीदार और रिस्तेदारीयों की लगभग 25 महिलाओं सहित 5 बाजे वाले एक ही नांव पर सवार हो गये। नाव जब गंगा के मध्य पंहुची तो , नाव के मध्य मे एक छेद हो गया। छेद से नाव मे पानी भरने लगा । नाविक ने यह देख कर कहा कि कुछ लोग नाव से कुद जायें अन्यथा नाव डूब जायेगी। नाविक की इतनी बात सुनते ही सर्वप्रथम बाजे वाले नाव से कुदे उन्ही की देखा-देखी महिलाएं भी कुदने लगी। यह नजारा जब गंगा किनारे अपनी नाव लगाये अन्य मल्लाहों ने देखा तो वे अपनी नांवो के साथ आगे बढ कर सभी डूबने वालों को बचाने मे मदद् करने लगे। मल्लाहों के साहस और परिश्रम से सभी को जीवित बचा लिया गया।

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