गांव का अस्तित्व बचाने हेतू महिलाएं अब मैदान में

गाजीपुर- गांव बचाने को लेकर अब महिलाएं भी आगे आने लगी हैं। गंगा तट पर चलाए जा रहे क्रमिक धरना के 15वें दिन आधी आबादी ने आंदोलन स्थल पर पहुंचकर नारी शक्ति का एहसास कराया। धरना सभा में पूर्व ब्लाक प्रमुख व रसोइयां संघ की प्रदेश संरक्षक चंदा यादव ने पहुंचकर अपने समर्थन का एलान किया। करीब छह वर्ष पूर्व पूरी तरह से आबाद हंसी-खुशी का जीवन व्यतीत कर रहे शिवरायकापुरा व सेमरा गांव के लोगों का भविष्य अचानक अंधकारमय हो गया। कारण वर्ष 2012 में गंगा के जलस्तर बढ़ने के साथ ही आबादी कटान से प्रभावित होने लगी। उस वर्ष कटान के चलते 46 परिवार पूरी तरह से बेघर हो गये। उस वर्ष के बाद भी कटान का सिलसिला नहीं रुका और वर्ष 2013 में तो गंगा ने जबर्दस्त कहर ढाया और देखते ही देखते शिवरायकापुरा गांव का अस्तित्व नाम मात्र का बचा तो सेमरा गांव का करीब 50 प्रतिशत आबादी बेघर हो गयी। उस वर्ष करीब 558 परिवार बेघर हो गये। आज भी कटान से बेघर हुए परिवार पुनर्वासित नहीं हो सके। कोई सरकारी विद्यालय में तो कोई सड़क किनारे झोपड़ी डालकर अपना जीवन यापन कर रहा है। कटान चर्चा जुबां पर आते ही पीड़ित रमेश यादव के आंखों में आंसू आ जाते हैं। उनका कहना है कि भगवान किसी को ऐसा दिन न दिखाए। जगन्नाथ पटेल, रवींद्र यादव, दीनानाथ राय, राजेंद्र राम, हरिशंकर यादव ने कहा कि कटान से पहले वह भी आम लोगों की तरह ठाट बाट से अपना जीवन व्यतीत करते थे। कटान ने उनके जीवन की खुशियों को आधा कर दिया। कई वर्ष से बरसात का सीजन आते ही उनकी धुकधुकी इस बात को लेकर बढ़ जाती है कि कहीं उनके गांव का अस्तित्व ही न समाप्त हो जाए।