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गाजीपुर-खूनी जंग को दावत देती कोटे की दुकान

गाजीपुर-आज बहुत दुखी मन से लिख रहा हूं, क्या लोकतंत्र है ? क्या यही हमारे देश की विडंबना है? क्या यही हमारे देश का संविधान सिखाता है कि आप गरीब हो, आप कमजोर हो , आपके पास संख्या कितनी भी भारी हो पर आपका हक आपका अधिकार आपको नहीं मिल सकता।साथियों मैं हर लड़ाई को लड़ता हूं और आज अपने गांव #सकरा की लड़ाई लड़ रहा हूं।काफी दिनों से मैं आपको अवगत कराना चाहता हूं जब कोरोना वायरस प्रचंड रूप धारण किया था, उस समय हमारे गांव के लोग अपना राशन लेने के लिए जब कोटा की दुकान पर आए तो कोटेदार द्वारा थप्पड़ मार कर के गरीबों को भगाने पर पूरे गांव की आवाम सड़कों पर उतर आई थी। क्योंकि उस समय परिस्थितियां यह थी कि हमारे गांव के 85% से ज्यादा लोग गरीबी तबके से बिलॉन्ग करते हैं।उस समय काम बंद था वह लोग कोरोना वायरस के मारने से पहले पेट की भुखमरी से मर जाते।साथियों वह कोटा निरस्त हो गया.अब उसका प्रस्ताव हो रहा है ग्राम सभा सकरा मे कोटे के आवंटन को लेकर के यह तीसरी मीटिंग है। प्रधान, सिगेटरी और एडीओ पंचायत मिलकर के शासन सत्ता के दबाव में अपने लोगों को कोटा की दुकान दिलवाना चाहते हैं। हम लोग शांत बैठने वाले लोग नहीं हैं। हम लोगों की यही मांग है जो सही है जिसके पास संख्या ज्यादा है, आप उसे कोटा देने का काम करिए। क्योंकि यह राशन जनता का है और जनता के बीच पहुंचना चाहिए ।
हम लोगों की संख्या सामने वाले लोगों से 4 गुनी जादे हैं।
आप शक्ति परीक्षण करवा लीजिए, यहां पर जो अधिकारी आते हैं उनसे बात करने पर वो स्पष्ट रूप से बोलते हैं कि मेरे हाथ में कुछ नहीं है।आप लोगों उपर के अधिकारी से बात करिए ।जब हम ऊपर के अधिकारियों से बात करते हैं तो हमें आश्वासन देते हैं कि जनता द्वारा होगा कोटे का आवंटन। इस ढोल(घाल) मेल के साथ गांव की आवाम बहुत परेशान है ।उनको उनका हक नहीं मिल रहा है फिर आगे का डेट देने के लिए अधिकारी अस्वासन देकर गए हैं की दुकानदार का चयन जनता द्वारा कराया जाएगा और उसकी डेट घोषित की जाएगी। समझ में नहीं आता कि इस लड़ाई को कैसे लड़ा जाए कि जिन का अधिकार है उन्हें उनका हक मिले। साथियों मैं जिन की लड़ाई लड़ रहा हूं यह निश्चित तौर पर मेरे भाई बीजेपी को वोट करने वाले लोग हैं और आज बीजेपी का कोई नेता इनके साथ नहीं खड़ा है। क्योंकि यह गरीब तबके के लोग हैं इन्हें बरगला कर, फुसलाकर दारू पिला कर वोट लिया जाता है और जब इनकी हक और अधिकार की बात आती है तो इन्हें ठेंगा दिखा दिया जाता है। (महामंत्री सत्यपाल की फेसबुक वाल से)

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