गाजीपुर-गोंद मे ही मर गये, गोंद लिए गांव
गाजीपुर- भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के गांवों के समग्र विकास के लिए एक सपना देखा था और अपने इस स्वप्न की पूर्ति के लिए उन्होंने यह सोचा कि पूरे देश के गांव का एक साथ समग्र विकास तो संभव नहीं है, तो क्यों न प्रत्येक वर्ष एक गाँव को गोद लेकर उसका समग्र विकास किया जाये।उन्होंने अपनी सोच को अमलीजामा पहनाने को लेकर अपने लोकसभा क्षेत्र के गांवों को गोद लेकर विकसित करने लगे।प्रधानमंत्री की इसी पहल को देख कर या उनके निर्देश पर देश जनप्रतिनिधियों ने गांवों को लेना शुरू कर दिया।सांसदों/जनप्रतिनिधियों के गांवों को गोद लेने की घोषणा को सुनकर ग्रामीण खुशी से झूमने लगे।
लेकिन वर्तमान समय में जनप्रतिनिधियों के द्वारा गोद लिए गए गांव की क्या हालत है ? यह उस गांव के निवासियों से बेहतर कोई नहीं जानता। गाजीपुर जनपद के पूर्व सांसद ,रेल व संचार राज्य मंत्री मनोज सिन्हा जो वर्तमान में महामहिम जम्मू कश्मीर है उनके द्वारा गोद लिए गए गांव विकासखंड जखनियां के देवां की क्या हालत है ? यह किसी से छुपा नहीं है। आए दिन ग्रामसभा देवां के ग्राम प्रधान और सचिव के भ्रष्टाचार और अनियमितता की खबरें अखबारों की सुर्खियां बनती है।देवा ग्राम सभा के सामाजिक कार्यकर्ता बोधा जयसवाल तथा युवा समाजसेवी अनिकेत चौहान गांव के भ्रष्टाचार और अनियमितता की शिकायतें शासन से लेकर प्रशासन तक करते-करते थक गए,लेकिन फिर भी ग्रामसभा देवा की हालत जस की तस है।दिनांक 7 अगस्त 2020 को गाजीपुर के डीपीआरओ अनिल कुमर सिह,अपर जिला पंचायत राज अधिकारी रमेश उपाध्याय, सहायक पंचायत राज अधिकारी बृजेश कुमार, एडीओ पंचायत, जेई ,ग्राम पंचायत अधिकारी ग्रामसभा मे हुई अनियमितता की जांच करने पहुंचे।देवां ग्राम सभा में इससे पहले अनियमित की कई बार जांच हुई लेकिन हर बार ग्रामीणों को निराशा ही हाथ लगी।
गाजीपुर जनपद के ही विकासखंड रेवतीपुर के ग्राम सभा डेढगांवा को बलिया के सांसद भरत सिंह ने प्रधानमंत्री की सोच को अमलीजामा पहचानने के लिए गोद ले रखा है। लेकिन सांसद भरत सिंह के गोद लेने के बाद ग्राम सभा की सूरत में कितना बदलाव आया यह तो वही के लोग जाने लेकिन आज भी लगभग वैसी ही स्थिति है जैसे कल थी।विकास खण्ड करण्डा के जमुआव गांव को पुर्व सांसद ने गोद ले रखा था लेकिन क्या बदलाव हुआ यह तो हमरे और आप से बेहतर उस गांव के लोग ही जानते है। आज भी ओवैस हालत गढ़ गांव की भी यही है। विकास खण्ड सदर-ग्राम सभा बयेपुर देवकली-मुख्य विकास अधिकारी गाजीपुर के द्वारा सदर विकास खण्ड के ग्राम सभा बयेपुर देवकली को गोंद लिया गया था लेकिन वहां के हालात मे भी कोई खास बदलाव या परिवर्तन नहीं आया। लगभग यही हालत पुरे देश में जनप्रतिनिधियों द्वारा लिये गये गांवों की है। मानिटरिंग का अभाव-यदि जनप्रतिनिधियों ने अपने द्वारा गोद लिए गांवों के समग्र विकास की मानिटरिंग के लिए किसी स्थानीय ब्यक्ति या प्रतिनिधि को नियुक्त कर दिया होता तो परिणाम बेहतर ही नहीं बेहद चौंकाने वाला होता।