गाजीपुर-रावण अभी मरा नहीं

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गाजीपुर-आज फिर उनसे से मुलाकात हो गई। उनसे जब भी मुलाकात होती है उनके बेसिर पैर की बातों को सुनके दिमाग झंन्ना जाता है। सुबह-सुबह लार्ड कर्नवालिस के मकबरे के मैदान से टहल कर मैं आ रहा था और अभी पीजी कालेज के चौराहे तक पंहुचा ही था कि अचानक एक आवाज सुनाई दी, पत्रकार भाई ,ओ पत्रकार भाई ? मैंने पीछे मुड़ के देखा तो हमारे प्रिय मित्र बातूनी मियां पुलिस लाईन से आने वाले मार्ग से लपके-लपके चले आ रहे थे।मै चौराहे पर रूक गया और बातूनी भाई का इंतजार करने लगा।पास आने पर मैंने कहा और भाई बातूनी मियां कैसे हैं आप ? बातूनी मिंया ने कहा मैं तो ठीक हूं लेकिन आप कैसे हो पत्रकार भाई ? मैंने कहा मैं भी ठीक हुँ,और बात करते-करते हम दोनो केदार के चाय की दुकान पर आ गए।मैंने कहा आइए बातूनी भाई चाय पीते हैं । केदार की दुकान पर हमने दो चाय का आर्डर दिया और हम और बातूनी आपस में बात करने लगे। अचानक न जाने बातूनी मिंया को क्या सूझा कि उन्होंने मुझसे सवाल कर दिया भाईजान रावण मर गया ? मैंने कहा बातूनी मिंया आप भी अजीब हो ? अभी विजय दशमी के दिन लंका के मैदान में रावण का पुतला दहन किया गया, क्या आपको नहीं पता है ? इस पर बातूनी मियां ने कहा कि हां भाई जान यह तो पता है लेकिन रावण को किसने मारा ? मैंने अचकचा कर कहा किसने मारा ? राम ने मारा।अचानक बातूनी मिंया काफी गमगीन लहजे मे मुझसे पुछ बैठे क्या आपने अपने अन्तर्मन मे बैठे रावण को मारा ? यदि रावण को राम ने मारा तो आज भी हमारे और आपके दिल में, दिमाग में रावण क्यों बैठा है ?पत्रकार भाई रावण मरा नहीं, रावण आज भी हमारे और आपके दिलो-दिमाग में जिंदा है। अगर हमारे और आप मे रावण जिंदा नहीं होता तो आए दिन मासूम बच्चियों की हत्या और बलात्कार नहीं होता भाई जान, रावण मरा नहीं।( स्व०मासूम निकिता तोमर को समर्पित)

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