गाजीपुर-विभाग की लापरवाही, भुगत रहे ग्रामीण

ग़ाज़ीपुर- चकबंदी विभाग की घोर लापरवाही का खामियाजा बिजहरी ग्राम के सैकड़ों किसान कई सालों से भुगत रहे हैं , क्योंकि चकमार्गों को संपर्क मार्ग से जोड़ा ही नहीं गया है।इतना ही नहीं इस मार्ग को हुरमुजपुर हाल्ट से आ रही मुख्य सड़क से भी नहीं जोड़ा गया है।जबकि चकबंदी मानक के मुताबिक एक चकमार्ग को दूसरे संपर्क मार्ग से जोड़ना जरूरी होता है।गौरत ल ब है कि कई साल पहले बिजहरी गांव की चकबंदी किसानों की सुविधा के लिए की गई थी, जिससे कि किसान अपने खेतों तक आसानी से आवागमन कर सकें ,.लेकिन चकबंदी विभाग ने घोर लापरवाही बरती और कई चकमार्गों को दूसरे संपर्क मार्गों से जोड़ा तक नहीं है, जिसका खामियाजा किसान भुगत रहे हैं। चकबंदी विभाग सैदपुर द्वारा बिजहरी गांव की चकबंदी की गई थी। चकबंदी के दौरान सम्बंधित तत्कालीन अधिकारियों व् कर्मचारियों ने पूरी तरह अनियमितता बरती और इस दौरान दलालों की भी खूब चली तथा कानून को ठेंगा दिखाकर गांव समाज की जमीन व पोखरी को भी नहीं बख्शा गया और इसकी भी मालियत लगाकर कुछ बड़े किसानों का चक बना दिया गया।
कूटी तक है चकरोड ,आगे तक नामोंनिशान नहीं
बिजहरी गांव का ही एक हिस्सा चौहान बस्ती व पांडे का पूरा है जहाँ सैकड़ों परिवार रहता है। चकबंदी के दौरान चौहान बस्ती का पूर्वी छोर जो जोरवट की सीमा से शुरू होता है। यहाँ से बिजहरी गांव के उत्तरी सीमा से एक चकरोड पांडे का पुरा होते हुए वन तक चकबंदी में छोड़ना चाहिए था लेकिन इस चकरोड को कुटी तक ही सरकारी कागज में दर्शाया गया है। जो चकमार्ग बना भी है उसे यहीं समापत कर दिया गया है। जबकि पश्चिम करी ब सौ मीटर की दूरी पर एक चौड़ी सड़क है जो इम्ब्राहीम पुर व अन्य ग्रामों के लिए जाती है , लेकिन इससे जोड़ा नहीं गया है। ॉॉडसन गांव के दक्षिणी छोर से एक चकरोड बिजहरी गांव की सीमा तक है लेकिन ,इसे भी किसी संपर्क मार्ग से नहीं जोड़ा गया है। अब सवाल उठता है कि इन चकमार्गों से राहगीर आगे कैसे जायेंगे।
आजादी मिलने के बाद से नहीं है रास्ता –
पांडे के पुरा व् चौहान बस्ती के अधिकांश किसानों को इसी रास्ते से जाना पड़ता है, क्योंकि उनके खेत पश्चिम दिशा में ही है। कुछ दूरी तक चकरोड बनाया गया है, लेकिन आगे इसका नामोनिशान नहीं है। जहाँ सरकार जगह – जगह हाई वे बना रही है तो वहीं किसानों को चकमार्ग तक नहीं मिल रहा है। जबकि करोड़ों रुपये मनरेगा पर खर्च किये जा रहे हैं। यदि यहाँ के किसानों को किसी वाहन से अपने खेतों तक जाना है तो उन्हें डेढ़ किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ता है।
किसी जनप्रतिनिधि ने नहीं दिया ध्यान-
आजादी के बाद भी यहाँ के को पक्की सड़क तो छोड़िये माटी की सड़क भी नहीं है , जो चकमार्ग बने भी हैं उन पर दबंगों का कब्ज़ा है। कोई खेती कर रहा है तो कोई अपने ट्यूबेल की नाली बनाया है ,जिसे जखनिया तहसील का राजस्व प्रशासन हटाने में नाकामयाब है। इसका खामियाजा किसान- मजदूरों को भुगतना पड़ रह है। एक तो चकबंदी विभाग की लापरवाही तो दूसरी तरफ दबंग ग्रामीणों का चकमार्गों पर कब्ज़ा ग्रामीणों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। किसानों के लिए यहीं है सच्ची आजादी।
सुशील कुमार पांडेय ( वरिष्ठ पत्रकार )
मो -९३२४७१३५२६