जी०एस०टी० लागू है, लेकिन न कोई लेता है और न कोई देता है , क्या?

गाजीपुर- शोसल मिडिया हो,इलेक्ट्रॉनिक मिडिया हो या प्रिन्ट मिडिया हो जब भी किसी को मौका मिलता है राष्ट्र भक्त बनने का तो सभी सीना ठोंक कर कहते है कि हम राष्ट्र भक्त है लेकिन क्या वास्तव मे हम राष्ट्र भक्त है ? यदि हम वास्तव मे राष्ट्र भक्त है तो किसी भी सामान की खरीदारी पर दुकानदार से पक्की बील /कैसमेमो क्यो नही लेते ? हमारी नजर मे इसके तीन कारण हो सकते है । पहला कारण है हमारी लापरवाही, दुशरा कारण है हर दुकानदार कैसमेमो/पक्की बील नही देना चाहता है , क्यो कि पक्की बील /कैसमेमो देने पर उसे टैक्स चुकाना होगा इस लिए ग्राहक के कैसमेमो मांगने पर दुकानदार पुर्व की किमत पर दिये गये समान का हमे नयी किमत बताने तगता है। जब कि सभी डिब्बा बन्द सामान पर छपा होता है कि सभी टैक्स जोड कर सामान की किमत क्या है। किसी भी राष्ट्र के विकास हेतू टैक्स/कर अनिवार्य है। एक छोटा सा उदाहरण आप को दे रहा हुँ , गाजीपुर मे दो या तीन होटलों के पास वियर बार का लाईसेंस है यदि आप वहां दारू/वियर पीयेंगे तो आपको वहां कैसमेमो/बील मिलेगी। लेकिन सैकडो अंग्रेजी/देशी दारू की दुकाने है वे सभी जी०एस०टी० के दायरे मे है लेकिन न आप उनसे कैसमेमो मांगेंगे और वह न आप को देंगें। यही हाल सभी जनरल स्टोरों,कपडा की दुकानो,मेडिकल स्टोरों, स्वीट भंडारों का भी है। जी०एस०टी०से पुर्व सभी दुकानदारों को सेल्स टैक्स/बिक्री कर देना था लेकिन न कोई ग्राहक कैसमेमो मांगता है न कोई दुकानदार देता है।

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