फर्जी निस्तारण रिपोर्ट के चलते मजाक बनगया जनसुनवाई पोर्टल

गाजीपुर – योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री बनने के बाद आम जनता की शिकायतों का निस्तारण करने के लिए जनसुनवाई पोर्टल की घोषणा की और उस पर अमल भी शुरू कराया।लेकिन अब ये शिकायत पोर्टल असफल साबित हो रहे है। जनसुनवाई पोर्टल पर सिर्फ आला अधिकारी ऑफिस में बैठे-बैठे कागजी निस्तारण का जरिया बना रहे है l सरकार द्वारा जनता को सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से जनसुनवाई पोर्टल प्रारंभ कि‍या गया था। पर इन दिनों जनता को राहत देने की जगह विभागों द्वारा किये जा रहे मनमाने निस्तारणों से जनसुनवाई पोर्टल के प्रति जनता का विश्‍वास घटता जा रहा। आईजीआरएस के मामलों की जांच करने में अधिकारी सभी नियमों को ताक पर रख देते हैं, यहां तक की पीडित के बयान लेना तक जरूरी नहीं समझा जाता है और मनमर्जी की रिपोर्ट लगा कर किसी तरह बवाल टाल दिया जाता है। जो आम जनता की सुनवाई के लिए बना पोर्टल आम जनता को ही कहीं ना कहीं मानसिक तौर पर और भी दुखी और परेशान करे जा रहा है। फरियादियों का इन जनसुनवाई पोर्टलों पर से विश्वास उठ गया है। अफसरशाही ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस महत्वाकांक्षी योजना को मजाक बना कर रख दिया है। पिछली सरकार में तो इस पोर्टल पर मजाक चल ही रहा था। इस सरकार से लोगों की उम्मीदें कुछ ज्यादा ही बढ़ गयीं थी। मुख्यमंत्री योगी भी लोगों की अपेक्षाओं पर खरा उतरने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने अधिकारियों और मंत्रियों सभी को निर्देश दिए हैं कि कोई भी फाइल किसी भी टेबल पर तीन दिन से अधिक नहीं रुकनी चहिये। यह होने भी लगा। परन्तु अफसरशाही और लालफीता शाही को कौन दुरुस्त करेगा यह आसान काम नहीं है। ऐसे में अगर जनसुनवाई पोर्टलों पर इसी तरह काम चलता रहा तो जनता बहुत जल्द इन पोर्टलों से दूर हो जाएगी

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