मनरेगा के कार्य में सात लाख का घोटाला

गाजीपुर-सादात ब्लाक के सरदरपुर ग्राम पंचायत में एक बड़ा घोटाला सामने आया है। बीडीओ के मुताबिक ग्राम प्रधान और सचिव की मिलीभगत से मनरेगा योजना में फर्जीढंग से सात लाख रुपए के भुगतान के लिए फाइल ब्लाक कार्यालय पर भेजी गई थी। इस मामले की जब जांच की गई तो मौके पर काम नहीं मिला। जांच में पता चला कि पहले बनी सड़क को ही दोबारा दिखाकर भुगतान करने का खेल खेला गया था। बीडीओ ने इसको गंभीरता से लेते हुए ग्राम पंचायत अधिकारी को जहां निलंबित करने के लिए डीपीआरओ को पत्र भेजा है, वहीं तकनीकी सहायक और अन्य मनरेगा कर्मियों को बर्खास्त करने की संस्तुति की है। उन्होंने पूरे भुगतान से जुड़ी फाइल को रोक दिया है।
बीडीओ के अनुसार ग्राम पंचायत सरदरपुर में मनरेगा अंतर्गत पक्का कार्य कराने के लिए करीब डेढ़ माह पूर्व सात लाख चार हजार रुपये स्वीकृति ली गयी। स्वीकृत कार्यों को पूरा दिखाकर करीब एक सप्ताह पहले ब्लाक कार्यालय में भुगतान के लिए बिल प्रस्तुत किया गया। भुगतान से पूर्व निर्माण कार्यों का स्थलीय निरीक्षण करने के लिए जब खण्ड विकास अधिकारी पवन कुमार सिंह पहुंचे तो स्थलीय सच्चाई देख सन्न रह गये। उन्होंने मस्टररोल निकालने के बाद सत्यापन में पाया कि सभी कार्य पूर्व में राज्यवित्त और 14वें वित्त से कराये जा चुके हैं। ग्रामीणों से पूछताछ में भी यह सच्चाई सामने आई कि मिट्टी खड़ंजा के सभी कार्य पुराने हैं, जिन पर फर्जी ढंग से दोबारा पैसा आहरित करने के लिए बिल लगाया गया है। बीडीओ ने सचिव पुनीत यादव के खिलाफ निलंबन और तकनीकी सहायक लालजीत यादव के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई की संस्तुति करते हुए उच्चाधिकारियों को पत्र प्रेषित किया। बताया कि प्रधान के खिलाफ पंचायती राज एक्ट के तहत कार्रवाई की जायेगी। उधर भुगतान की पूरी फाइल रोके जाने से फर्जी भुगतान कराने वाले प्रधान व सचिवों में हड़कंप मचा हुआ है। बीडीओ का साफ कहना है कि इस तरह की गड़बड़ी पर कड़ी नजर रखी जाएगी। इसके लिए मनरेगा कर्मियों को विशेष निर्देश दिए जाएंगे।