मनोज सिन्हा, पी.एम.मोदी,स्व०सांसद गहमरीऔर गाजीपुर के लिये पटेल आयोग
गाजीपुर- बात 1962की है जब गाजीपुर से कांग्रेस के टिकट पर स्व०विश्वनाथ प्रताप सिह गहमरी सांसद बन कर दिल्ली भारत के संसद मे पहुचे। गाजीपुर और पुर्वांचल की गरीबी और पिछडे पन की की चर्चा किया तो भारत के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु सहित पुरी संसद रो पडी। ( आज के उन नौजवानों और बच्चो को बताना चाहुगां एक समय था जब गेहूँ ,औ ,चना,बाजरा आदि फसलो की मडाई/दंवाई बैलो से होती थी और मडाई के दौरान बैल अंन जो खाते थे वो मल/गोबर के रूप मे जब बाहर निकालते थे तो मैने खुद अपने दोनो हाँथ की अंजली मे उस गोबर /मल को लेकर बाहर फेंका है और उसी गोबर/मल को हमारे हरवाहा/ चरवाहा दलित समाज के बिदेशी /सुदेशी चाचा घर उठा कर ले जाते थे और उस गोबर/मल को धो कर जो अन्न निकलता था उसे पीसा कर रोटी दाल के रूप मे खाते थे। तत्कालिन गाजीपुर के सांसद (1962) मे स्व०विश्वनाथ प्रताप सिह गहमरी ने भारतीय स़ंसद मे जब गाजीपुर सहित पुर्वांचल के इस गरीबी और पिछडे पन की बात रो-रो कर उठाया तो पंडित नेहरु सहित पुरी भारत की संसद द्रवित हो गयी। पंडित नेहरु ने पुर्वांचल और गाजीपुर के पिछडे पन और गरीबी को दुर करने के लिए पटेल आयोग का गठन किया। पटेल आयोग के अध्यक्ष वी.पी.पटेल, सदस्य के रूप मे आर.डी.धर,आर.एन.माथुर, कृष्ण चन्द्र, जे.के.पान्डेय,आर.एस.वर्मा ,जे.पी.जैन,आर.आर.अग्रवाल, के.मित्रा थे। ये सभी अलग-अलग बिषयो के बिशेषज्ञ थे। पटेल आयोग के सदस्यो ने जिलापरीषद अध्यक्ष, सांसद विश्वनाथ प्रताप सिह गहमरी,विधायक राजनाथ सिह,आज पेपर के सम्पादक ईश्वर चन्द सिन्हा, रामकुवर सिह एड.,के.एस.यादव,विन्ध्याचल सिह,डी.एम.गाजीपुर, जिलाउद्योग अधिकारी, जिलाकार्यक्रम अधिकारी से लगातार दो वर्षो तक बिचार-बिमर्स के बाद पर पाँच खंडो मे अपनी रिपोर्टर भारत सरकार को सौपी। पटेल आयोग के द्वारा भारत सरकार को सौपी गयी रिपोर्टर मे सब से महत्वपूर्ण संसतुति ताडीघाट-गाजीपुर के मध्य पुल का निर्माण ही था। पटेल आयोग के आशानुसार जब से गाजीपुर के सांसद मनोज सिन्हा और भारत सरकार के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हुए है , स्व०विश्वनाथ प्रताप सिह गहमरी के इच्छानुसार ही कार्य कर रहे है।