विश्व विजेता बनने के बाद भी जब मेजर ध्यानचन्द ने नहीं मनाय जश्न

15अगस्त 1936 को बर्लिन ओलम्पिक का फाइनल था। विश्व की सबसे मजबूत टीम जर्मनी का सामान भारत से था। भारत ने मैच 8-1 से जीतकर गोल्ड मेडल अपने नाम किया, जिसके बाद भारत के सभी खिलाड़ी जश्न में डूब गये। इस जश्न से ध्यानचन्द नदारद थे। साथियों को जब पता चला कि वह नहीं हैं, तो वे उनको तलाश करने लगे। ध्यानचन्द एकान्त में बैठे मिले। उनकी आँखों में आँसू थे। साथी खिलाड़ियों ने गोल्ड जीतने के बाद रोने का कारण पूछा, तो उन्होंने ऊपर की ओर इशारा किया। यह इशारा उस झण्डे की ओर था, जो भारत की जीत पर फहरा रहा था। यह झण्डा यूनियन जैक था। दद्दा उस जगह तिरंगा देखना चाहते थे, इसलिए उन्होंने जश्न नहीं मनाया। उनके इस कदम से सभी हैरान रह गये।

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