शीला के हौशले और जज्बे को सलाम-प्रेरणादायक

मुहम्मदाबाद (गाजीपुर)-महिलाएं चाहे तो सिर्फ अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को सुधार ही नहीं सकती बल्कि वह अपने मेहनत के बल पर परिवार का पालन पोषण भी कर सकती है। कुछ ऐसा ही कार्य करके मिसाल पेश कर रही हैं बाराचवर ब्लाक के उतरांव गांव की शीला वर्मा। शीला अपने हुनर के बल पर आर्थिक रूप से समृद्ध तो हो ही रही हैं साथ ही साथ क्षेत्रकी काफी लड़कियों व महिलाओं को गुणी बना रही हैं।
गरीब परिवार मे पली शीला शर्मा जब मायके में थीं तो उसी समय से कढ़ाई बुनाई से एमए तक की शिक्षा प्राप्त कीं। जब उनकी शादी उतरांव गांव में संजीव शर्मा से हुई तो वहां भी उन्हें आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा। आर्थिक तंगी से निजात पाने के लिए उन्होंने काम काज करने की ठानी। जब वह सिलाई, कढ़ाई, पे¨टग, जरी की कढ़ाई टेडी वियर बोर्ड इत्यादि की शिक्षा देने का कार्य शुरू करने व अगल बगल के गांवों की बालिकाओं के लिए प्रशिक्षण केंद्र चलाने की बात परिवार में कीं तो लोग राजी नहीं हुए। यहां तक कि उनके पति भी इस पक्ष में नहीं थे। बावजूद वह हिम्मत नहीं हारी और उसने गांव से गांधीनगर के पास आकर अपना प्रशिक्षण केंद्र छोटे स्तर पर शुरू कीं। धीरे धीरे गांव की लड़कियां सिलाई ,कढ़ाई व ब्यूटीशियन का कार्य सीखने पहुंचने लगीं। अब शीला शर्मा इस कार्य से प्रति माह करीब पांच से छह हजार रुपये तक की आय कर लेती हैं। इस आय से ही वह अपने दो लड़कियों को पढ़ाने का कार्य कर रहीं हैं। अब उनके काम से प्रभावित होकर पति संजीव भी प्रशिक्षण केंद्र के बगल में इलेक्ट्रिक का दुकान शुरू कर दिए हैं। शीला ने बताया कि करीब 10 वर्ष से वह सिलाई कढ़ाई सीखाने का कार्य कर रही हैं। अब तक 500 से अधिक लड़कियों व महिलाओं को प्रशिक्षित कर चुकीं हैं। इसके अलावा ब्यूटीशियन का कार्य करती हैं। इससे दो पुत्रियां व एक पुत्र को पढ़ाने व पालन पोषण का कार्य कर रहीं हैं। शीला ने कहा कि अगर अगर महिलाएं ठान ले तो कुछ भी असंभव नहीं

है।

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