सन् 1126 मे सोने के पानी से लिखी कुरान वाराणसी में
वाराणसी के मुसलमानों को माह-ए-रमजान में सोने के पानी से लिखी 892 साल पुरानी कुरान मजीद के दीदार होंगे। यह कुरान सन 1126 में लिखी गई है। रमजान की 24 तारीख को इसे दालमंडी के इमामबाड़े में प्रदर्शित किया जायेगा। कुरान मजीद की आयतें काली स्याही से लिखी गई हैं जबकि उनका उर्दू में अनुवाद सुनहरे अक्षरों में लिखा है। हस्तनिर्मित मोटे कागज पर लिखी आयतों को देख कर लगता है कि इस प्रति को खासतौर से शाही परिवार के लिए तैयार किया गया था। इसके मुख्य पृष्ठ का आधार नील से तैयार हुआ जबकि उसके ऊपर सुनहरी स्याही से सजावट की गई है। चटाई की बुनाई जैसा आभास देने वाले सुनहरे फ्रेम के अंदर सुनहरी आयताकार आकृति है। इसके बाहर चारो ओर सोने के पानी से बेल, बूटे और फूल उकेरे गये हैं। यह कुरान करीब तीन सौ पृष्ठों में है। इसके अंतिम पृष्ठ पर इसका लेखन पूर्ण होने की 19 तारीख, महीना जमादिससानी और 992 हिजरी लिखा है। सन 1857 की गदर के दौरान मिली थी –बनारस में इस कुरान को हकीम मोहम्मद जाफर के पिता हकीम मोहम्मद अहमद अली 1857 की गदर के बाद दिल्ली से पहले लखनऊ, फिर बनारस लेकर आए थे। हकीम जाफर की चौथी पीढ़ी के प्रतिनिधि डा. मुजतबा जाफरी और उनके छोटे भाई मुर्तजा जाफरी ने इस विरासत को दिलोजान से संजो रखा है।