साहब के तेवर से दिन भर हांफता रहा पशुपालन विभाग

गाजीपुर – श्वेत क्रांति लाने और पशुओं की नस्ल में सुधार लाने के लिए तत्कालीन सरकार ने वित्तीय वर्ष 2015-16 में कामधेनु योजाना की शुरुआत की थी। इस योजना के तहत दो मिनी और माइक्रो कामधेनु की शुरुआत की गई। इसके तहत पंजाब जैसे प्रांत से उच्च नस्ल की दुधारू पशुओं की खरीदारी करना और उनको रखने के लिए मानक के अनुसार व्यवस्था करना था। कामधेनु योजना के तहत चयनित लाभार्थियों को 90 लाख रुपये, मिनी के लिए 50 लाख और माइक्रो के 25 लाख रुपये निर्धारित किए गए थे। चयनित लाभार्थियों द्वारा बैंक से लोन लेकर पशुओं की खरीदारी और उनके रहने की व्यवस्था तक इसमें शामिल किया गया। लाभार्थियों द्वारा लिए गए ऋण का 12 प्रतिशत ब्याज पांच वर्ष तक शासन द्वारा बैंक को उपलब्ध कराया जाना है। प्रदेश की सत्ता परिवर्तन के बाद ब्याज भुगतान का बजट विभाग को भेजा गया लेकिन ब्याज भुगतान नहीं करने का आरोप लगाते हुए बासुदेवपुर गांव निवासी चितरंजन सिह ने पशुपालन के वाराणसी स्थित एडी कार्यालय से लेकर शासन तक पत्र भेजकर जांच करने की मांग की। इसको गंभीरता से लेते हुए एडी एनके गहलोत ने शिकायतकर्ता के डेयरी पर पहुंचकर मानक की जांच की। जहां आठ दुधारू पशु ही मिले। इसके बाद उन्होंने मुख्य पशु चिकित्साधिकारी कार्यालय पहुंचकर ब्याज भुगतान की फाइलों को खंगाला। साथ ही अन्य लाभार्थियों के डेयरी पर पहुंचकर पशुओं के रखने की संख्या की जांच की। इस संबंध में मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डा. विद्याशंकर पांडेय ने बताया कि शिकायत पर ब्याज भुगतान की जांच चल रही है।

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