सिकरौरा कांड में बाहुबली एमएलसी बृजेश सिह बरी

चन्दौली के बलुआ थाना क्षेत्र स्थित सिकरौरा गांव में 32 साल पहले एक ही परिवार के सात लोगों की हत्या में आरोपित एमएलसी बृजेश सिंह को गुरुवार को बड़ी राहत मिली। अपर जिला जज (सप्तम) राजीव कमल पांडेय की अदालत ने साक्ष्य के अभाव में संदेह का लाभ देते हुए उन्हें बरी कर दिया। बृजेश को भारी सुरक्षा के बीच कोर्ट में पेश किया गया था। इस दौरान कोर्ट में एमएलसी समर्थकों की भीड़ जमा रही।

अभियोजन पक्ष के अनुसार 9 अप्रैल 1986 में सिकरौरा में तत्कालीन ग्राम प्रधान रामचंद्र यादव, उनके चार बेटों समेत सात लोगों की गोली व धारदार हथियार से हत्या कर दी गयी थी। मामले में बृजेश सिंह के साथ पंचम सिंह, वकील सिंह, देवेंद्र प्रताप सिंह, राकेश सिंह, कन्हैया सिंह, वंशनारायण सिंह, रामदास सिंह, मुसाफिर सिंह, विनोद कुमार पांडेय, महेंद्र प्रताप सिंह, नरेंद्र सिंह, लोकनाथ सिंह, विजय सिंह को आरोपी बनाया गया था। जमानत मिलने के बाद मामले में बृजेश सिंह फरार हो गए थे जिससे इनकी फाइल अलग कर दी गई। वहीं मामले में बृजेश को छोड़कर अन्य आरोपितों की सुनवाई चलती रही और वे बरी हो गए।

वर्ष 2008 में उड़ीसा के भुवनेश्वर से गिरफ्तार होने के बाद बृजेश को वाराणसी लाया गया था। वर्ष 2015 में हाईकोर्ट के आदेश पर सिकरौरा कांड मामले की सुनवाई फिर से शुरू हुई। तीन साल तक चली सुनवाई के दौरान वादिनी तत्कालीन प्रधान रामचन्द्र यादव की पत्नी हीरावती समेत 13 गवाहों का बयान हुआ। इसके बाद अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने व साक्ष्य का अवलोकन करने के बाद संदेह का लाभ देते हुए बृजेश सिंह बरी कर दिया। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि मामले में वादिनी और अन्य गवाहों के बयानों में विरोधाभास रहा। वहीं कई बिन्दुओं पर अभियोजन आरोपित के खिलाफ साक्ष्य देने में असफल रहा

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