हे ईश्वर, आज शिक्षा मित्रों के जाँन-माँल की रक्षा करें

उत्तर प्रदेश के 1.72 लाख शिक्षा मित्रों के भाग्य का फैसला आज सुप्रीम कोर्ट करेगा। शिक्षा मित्र बनाने का बिचार भारतीय जनता पार्टी के केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री मुरली मनोहर जोशी का था। परिषदीय विद्यालयों मे शिक्षकों के रिक्त पदो की समस्या से निबटने के लिये कम खर्च पर 10 माह के लिये शिक्षा मित्रों की संविदा पर न्यूक्ति करने की व्यवस्था किया था। शिक्षा मित्रो ने अपने न्यूक्ति के समय एक सपथ पत्र भी दिया था कि वे स्थाई नियुक्ति की माँग नही करेगें। समय बदला और शिक्षा मित्रों ने अपने आप को सहायक शिक्षक के रूप मे समायोजित करने की माँग करने लगे। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के निर्देश पर इनका सहायक शिक्षक के पद पर समायोजन कर लिया गया। शिक्षा मित्र की न्यूक्ति की न्यूनतम योग्यता 12 पास थी और सहायक शिक्षक पद पर नियुक्ति की के लिये न्यूनतम् योग्यता स्नातक,बी.टी.सी. और टी.ई.टी. अनिवार्य थी। लिहाजा उत्तर प्रदेश सरकार ने नियमों मे बदलाव कर पत्राचार से बी.टी.सी.करने की सुविधा प्रदान किया। भारत सरकार के नियम से गठीत राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद ने प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों मे नियुक्ति हेतू टी.ई.टी . पास होना अनिवार्य कर दिया । नकल से हाई मेरिट प्राप्त कर शिक्षा मित्र बने अभ्यर्थी टी.ई.टी. की परिक्षा से भागने लगे। खैर बहुत अतित मे जाने की आवश्यकता नही है। वर्ष 2012 के 12 सितंम्बर को हाई कोर्ट इलाहाबाद ने शिक्षा मित्रो के सहायक शिक्षक के पद पर समायोजन रद्द कर दिया। इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुचा और आज 1.72 लाख शिक्षा मित्रो के भाग्य का फैसला ह़ोने वाला है।